जिन लोगों अब अपना घर को अपना आराम व राहत क्षेत्र नहीं लगता, तथा उनका दिल करता रहता है की काम के तनाव से मुक्ति के लिए कोई जगह हो, जहां वो अपनी रोजमर्रा की परेशानियों से इतर, हँस बोल सकें, अपने विचार कह सकें और दूसरों की सुन सकें।
महीने में एक-दो बार लोकल शहर में एक गेट टुगेदर के लिए 500 से 1000 खर्च करने के लिए त्यार हैं। जो आज के वक़्त में होने वाले काम के तनाव और निराशा को दूर करने के लिए हर महीने कुछ अलग करने और बठिंडा में किसी जगह पर समान विचारधारा वाले लोगों से मिलने के लिए किसी सस्ते तरीके के लिए उत्सुक हैं।
जो लोग यह देखकर मानसिक रूप से परेशान रहते हैं की आज की ज्यादातर नारियाँ नारी नहीं, आधे पुरष बन चुकी हैं, जो उनसे पुरषो की तरह ही झगड़ती हैं।
, बराबर गाली देती हैं, बराबर हाथ उठाने को पड़ती हैं, जो लोग सोचते हैं कि उन्होंने घर के मुखिया के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से पालन किया है, लेकिन उनकी पत्नियों ने नहीं किया/कर रहीं। लेकिन उनकी पत्नियाँ कहती/मानती हैं, की वो भी उतनी ही या उनसे ज्यादा मेहनत कर रही हैं। वे पुरुष जो खुद खूब मेहनत करते हैं, टेंशन में रहते हैं, लेकिन उनकी घरेलू महिलाएँ उसका आधा भी नहीं करतीं। जिनकी महिलाएँ वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव, पानी की मोटर, टीवी और सबसे बढ़कर मोबाइल के बटन चलाने को एक काम समझती हैं। जो सोचती हैं कि घर में नौकरानी बुलाना भी उनके द्वारा की जाने वाली एक तरह की मेहनत है। और शाम को आदमी आता भी है तो कोई खास बात नहीं, क्यूंकी उनकी औरतें सोचती हैं की वो भी बराबर ही थकी हुई हैं।
और वो, जिनका दोष महिला से कम होते हुए भी, वो महिला कानून की लाठी से उसको पीट रही है।
और जो मानते हैं कि आजकल पति-पत्नी के बीच होने वाले 80-90% मामलों में दोष महिलाओं का ही होता है। और कानून महिलाओं के पक्ष में बहुत ज़्यादा झुके हुए हैं, और महिलाएँ इसका अनुचित फ़ायदा उठाती हैं। और किसी तीसरे बुजुर्ग के समझाने पर भी वो महिलायें उन बुजुर्गों को ही कम बुद्धि का ठहरा देती हैं। तथा मेरी तरह जिनको लगता है कि संस्कृति और हमारे पुश्तैनी मूल्य, हमारे संस्कार, मुख्य रूप से घरेलू महिलाओं द्वारा डाले जाते रहे हैं, पर अब उनके घरों में ऐसा हो नहीं रहा। और दुखी हैं कि वही घरेलू महिलाएँ बच्चों में वो कदरें कीमतें डालना तो दूर, वो खुद अपने अंदर उन रस्मों संस्कारों को, बैक्वर्ड मानते हुए तेजी से खत्म कर रही हैं।
ऐसे लोगों के लिए बठिंडा में हम एक समूह निर्मित करने जा रहे हैं। इसके लिए हमें बस 94 7878 4000 पर एक टेलग्रैम msg लिख कर अपनी इन्ट्रोडक्शन भेजें।
इसकी की पहली बैठक में अतिरिक्त उद्देश्य और नियम निर्धारित किए जाएँगे। समूह व्हाट्सप्प नहीं, बल्कि टेलग्रैम एप पर बनाया जाएगा।
बॉबी ज़ोफैन, बठिंडा हेल्पर
ग्रुप के एडमिन और बॉबी साइकिलस के मालिक, अमरीक सिंह रोड, बठिंडा- 94 7878 4000
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