सिरियल किल्लर यानी जिसने एक के बाद एक, कई क़त्ल किए। और ज़्यादातर cases में किल्लर के विक्टिम उसको जानते नहीं होते। या लगभग अंजान होते हैं।
और ध्यान दें, की यह वो सिरियल किल्लर हैं, जो पुलिस ने पता कर लिए, या पकड़ लिए। हो सकता है की कुछ क़त्ल ऐसे भी हों, जो आज तक पुलिस को पता ही न चलें हों। मेरी नज़र में ऐसा बिलकुल संभव है की किनही गरीब, बेसहारा लोगों को मार कर किसी नदी में फेंक दिया गया हो, जिनका कोई बाली बारस ही न हो। और जिनके गायब होने के बारे में आज तक किसी को पता ही न चला हो।
खैर, अपनी लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है: मोहन कुमार का। जिसके बारे में इसी पोस्ट में बता रहा हूँ।
मोहन कुमार, जिसको सायीनाईड मोहन के नाम से भी जाना जाता है। वो 1980 से लेकर 2003 तक एक प्राइमरी स्कूल में टीचर था। इस मोहन कुमार के केस में पुलिस को उसके और financial धोखा धड़ियों के बारे में भी पता चला था।
इसने 2005 और 2009 के बीच 20 औरतों को मारने की बात कबूली थी। यह उनके साथ (ज़्यादातर केसेस में सहमति के साथ) सेक्स करता था, और फिर उनको यह कहकर Potassium Cyanide नाम का जहर खिला देता था की यह तुमको बच्चा concieve होने से बचाएगी। या कुछ और फाइदा करेगी। आज तक यह पता नहीं चल पाया है सही ढंग से की यह उनको क्यूँ मार देता था। ज़्यादातर सिरियल केसेस में पकड़े गए व्यक्ति पुलिस को ऐसे अलग अलग स्टेटमेंट देते हैं, जिससे की पुलिस एंड तक यह सही डिसाइड नहीं कर पाती है की उनका मकसद क्या था? और एंड में उनको phychological cases कह समझ कर case क्लोज़ करने पड़ते हैं।
मोहन कुमार को पकड़े जाने की भी कहानी थोड़ी इंट्रेस्टिंग है। जैसा की मैंने कहा की बहुत केस ऐसे हो सकते हैं, जिनके बारे में पुलिस को पता ही न चले। या पुलिस ने दबा ही दिये हों, मोहन कुमार का केस भी ऐसे ही था। 2003 से लेकर 2009 तक मोहन कुमार 19 औरतों को मार चुका था (यह वो हैं, जिनके बारे में पुलिस को प्रूफ मिल चुके थे और जिनकी पुलिस ने रिपोर्ट पेश की है)। लेकिन किसी को कानों कान खबर नहीं लग रही थी। अगर कोई थोड़ी बहुत गुम शूदगी की रिपोर्ट लिखवा भी रहा था, पुलिस उस पर कोई एक्शन नहीं ले रही थी।
यह 19 औरतों के शव कर्नाटक के 6 अलग अलग जिलों से मिले थे और सबकी उम्र 20 और 30 के बीच थी। सभी की लाशें बस स्टैंड के बाथरूम्स में से मिली थीं और सभी ने अपनी मैरेज वाली साड़ी पहनी हुई थी, लेकिन जेवर कोई नहीं पहना था/सब गायब थे। सभी 19 एक ही तरीके से हुए हुए मर्डर आम आदमी को भी दिख रहे थे।
सभी के पोस्ट्मॉर्टेम पोईसन केस बता रहे थे, लेकिन इसके बाबजूद सिर्फ 2 केसेस में ब्लड की फोरेंसिक जांच हुई और cyanide की बात सामने आई (सबको मालूम है की cyanide से कोई आत्महत्या नहीं करता और न ही वो आसानी से उपलव्ध होता है) उसमें भी पुलिस को ऐसा कुछ नहीं दिखा। और यह सभी केस पुलिस ने दबा दिये। ज़्यादातर केसेस में सूइसाइड या अननेचुरल डैथ बता कर फ़ाइल बंद कर दी गयी। किसी भी केस में उनकी फॅमिली को ढूँढने की कोशिश नहीं की गयी और सरकारी खर्च पर दाह संस्कार करवा दिये गए। यह सभी 10 अलग अलग पुलिस स्टेशन के रेकॉर्ड में दब गए।
लेकिन फिर 19वे केस, अनीता बरीमार के केस में कुछ अलग हुआ। वो बंगर्स की ऐसी कम्यूनिटी से आती थी, जो मुसलमानों के साथ शादी के सख्त खिलाफ थे। और उनके गाँव में यह बात फ़ेल गयी की एक मुस्लिम लड़का अनीता को भगा कर ले गया। यह बात 16 जून, 2009 की है। उस समुदाय के 150 लोग इकठे होकर एक जलूस की शक्ल में बंत्वाल पुलिस स्टेशन पहुँच गए और अगर लड़की को न ढूंढा गया तो पुलिस स्टेशन को जलाने की धम्की दे दी।
अब पुलिस अधिकारियों की आँख खुली और उन्होने बड़ी मुश्क़ुइल से 1 महीने का टाइम मांगा।
अब पुलिस ने सबसे पहले अनीता की कॉल डीटेल चेक की तो पाया की वो एक खास नंबर पर रात रात भर बात किया करती थी। यह नंबर मदिकेरी जिले में कावेरी मंकू का था। और पुलिस वाले देख कर हैरान हो गए की कावेरी खुद भी बहुत महीनों से गायब थी। और उससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात यह थी की वो खुद भी एक ऐसे नंबर पर रात रात भर कॉल करती थी, जिस नंबर को उसके परिवार में कोई नहीं पहचानता था।
तो पुलिस कसर्गोड ज़िले में उस नंबर की मालिक पुष्पा वसुकोड के छोटे से घर में पहुंची। और तब पुलिस को पता चला की पुष्पा की गुमशूदगी की रिपोर्ट लिखवाये तो 1 वर्ष हो चुका है। और अब पुलिस ने डरते डरते पुष्पा के कॉल रेकॉर्ड चेक किए तो पाया की वो भी लंबी लंबी देर पुतुर जिले की विनुथा पीजिना से बात किया करती थी। जो की खुद भी गायब थी। और ऐसे ही हरेक औरत का कॉल रेकॉर्ड आगे किसी और गुम लेडी तक पुलिस को पहुंचाता रहा। अभी तक पुलिस को यह एक prostitution रैकेट लग रहा था और पुलिस उसी एंगल से इसकी जांच कर रही थी।
अब पुलिस को सभी मोबाइलस के डाटा को सही ढंग से analyze और ट्रेस करने के लिए एक टीम अलग से लगानी पड़ी और जिससे की पुलिस को एक इंट्रेस्टिंग बात पता चली की यह सभी नंबर किसी न किसी टाइम मंगलरु जिले के धरलुकट्टू गाँव में एक्टिव जरूर हुए थे।
पुलिस की कुछ टीमस उस छोटे से कस्बे में पहुंची और सब होटल आदि सर्च करने शुरू की गयी। और तभी बंत्वाल की एक पुलिस टीम ने धरलुकट्टू टीम को इन्फॉर्म किया की कावेरी का फोन धरलुकट्टू में ही सिर्फ 3 मिनट के लिए ऑन किया गया है और उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली गयी। फोन एक बच्चे धनुष के पास मिला, जिसने कहा की यह उसके अंकल मोहन ने उसको दिया है।
पुलिस को अब लग रहा था की वो किंग पिन के बिलकुल पास पहुंची हुई है और कभी भी असली शक्स उसकी पकड़ में आने ही वाला है। लेकिन मोहन उनकी पकड़ में नहीं आया। इसी चक्कर में पुलिस को एक और औरत का नंबर मिला जिससे मोहन की उसी वक़्त बात चल रही थी। और पुलिस ने तुरुन्त लोकेशन ट्रेस करके उस औरत को खोज निकाला, जो की बंत्वाल की ही सुमित्रा पुजारी नाम की औरता थी। पुलिस ने उसको मोहन को एक फिक्स जगह पर बुलाने के लिए कहा और अपना जाल फैलाया। जिसमें की मोहन कुमार फँसा।
अपनी अरैस्ट के बाद मोहन ने जो बताया उसने पुलिस के रोंगटे खड़े कर दिये। यह एक ऐसी स्टोरी थी जो कर्नाटका में आज तक कभी नहीं घटी थी। मोहन ने 32 औरतों को मारने की बात कबूली (हालांकि पुलिस 20 के ही प्रूफ ढूंढ पायी)। उसने बताया की वो उनसे सिम्पल सी मैरेज कर लेता था, और किसी होटल में उनके साथ रात बीताता था और पास के किसी बस स्टैंड के बाथरूम में लेजाकर (यह कहकर की कई बार गोली खाने उतली आ जाती है, इसलिए बाथरूम में ही खानी है वो गोली) उनको गर्भ निरोधक गोली देता था, जो की साईनाईड में डूबी हुई होती थी। वो 1 मिनट में ही तड़प कर जान दे देतीं थीं और फिर वो बाकायदा शांति से होटल में लोटता था और उनका सारा समान, जो भी जूलरि आदि होती थी, समेटता था। और नैक्सट शिकार की तलाश शुरू करता था। वो सदा किसी ऐसी, अकेली औरत की तलाश करता था, जिनके आगे पीछे कोई ढूँढने वाला न हो।
जब यह सारी स्टोरी मीडिया में आउट हुई तो मोहन कुमार को कभी फिर मोहन नहीं कहा गया। उसको उसके बाद मोहन साईनाईड के नाम से जाना गया। कोर्ट में मोहन साईनाईड ने (वो अपना केस खुद लड़ रहा है) यह कहा की उसने किसी को नहीं मारा बल्कि सभी औरतों ने साईनाईड खाकर इसलिए सूइसाइड की क्यूंकी उनके क्लाईंट ने उनसे प्रॉमिस करके भी सही ढंग से शादी नहीं की।
मोहन को 2013 में फांसी की सज़ा सुना दी गयी थी। जो की आज तक सूप्रीम कोर्ट में अपील के लिए पेंडिंग है।
मोहन कोर्ट में एक नॉर्मल व्यक्ति की तरह behave करता है, दिखता है।
इससे पहले उसकी 2 शादियाँ हुई थीं, और दोनों औरतें जिंदा हैं और उन्होने इसको छोड़ कर अपनी दूसरी शादियाँ कर ली हैं।
मोहन ने साईनाईड एक जेवेल्लर बन कर खरीदा था। क्यूंकी जेवेल्लर अक्सर साईनाईड का उपयोग जेवेल साफ करने के लिए यूस करते हैं।
Composed by:
बॉबी ज़ोफन
#Mohan Kumar
#Mohan Cyanide