रावण ने सीता माता से कोई जबरदस्ती करने की कोशिश क्यूँ नहीं की?

रावण ब्राम्हण कुल में जन्मा एक प्रकांड पंडित था। लेकिन माता सीता को नहीं छूने का कारण उसकी भलमनसाहत नहीं, बल्कि कुबेर के पुत्र “नलकुबेर” द्वारा दिया गया श्राप था कि "यदि किसी स्त्री का जबरदस्ती शील भंग करने की कोशिश की, तो उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे। ये श्राप नलकुबेर ने रावण द्वारा उसकी पत्नी का बलात्कार करने से क्षुब्ध होकर दिया था।

कुछ लोग ये कहानी सुनाने बैठ जाते हैं कि एक माँ अपनी बेटी से ये पूछती है कि तुम्हें कैसा भाई चाहिये ?

बेटी का जवाब होता है ~ रावण जैसा ! जो अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिये सर्वस्व न्यौछावर कर दे ! तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है…

रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था, जो राजा कालकेय का सेनापति था।

रावण का युद्ध कालकेय से हुआ जिसमें उसने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया, तब शूर्पणखा ने अपने ही भाई को श्राप दिया कि, तेरे सर्वनाश का कारण मैं ही बनूँगी। अर्थात रावण ने अपनी बहन के पति की हत्या कर उसे विधवा बना दिया था।

जो व्यक्ति अपने ज्ञान का दुरुपयोग दुसरों के अहित के लिए करता है वो ज्ञान ही उसके विनाश का कारण बन जाता है।

रावण ने अनेक ऋषि मुनियों का वध किया, ना जाने कितनी स्त्रियों का अपहरण और बलात्कार किया !

यहाँ तक कि अपने भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी अर्थात अपनी पुत्रवधु रंभा का भी बलात्कार करने का पाप किया था उसने।

एक गरीब स्त्री ‘वेदवती’ के रूप से प्रभावित होकर जब वो उसे बालों से घसीट कर ले जाने लगा तो वेदवती ने आत्मदाह कर लिया, और वो उसे श्राप दे गई कि ~ तेरा विनाश एक स्त्री के कारण ही होगा…!

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