क्या आपको भारतीय होने में लज्जा आती है?

इसका जवाब देने से पहले मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ - क्या आप जानते हैं कि अमल कुमार रायचौधरी कौन हैं? दिमाग पर ज़ोर लगाइये। याद आया? थोड़ा सा भी याद नहीं?

अच्छा ये बताइये की ये कौन हैं?

मैं भी क्या पूछ रहा हूँ। सभी जानते हैं कि ये कौन हैं। इस सदी के सबसे महान एवं लोकप्रिय वैज्ञानिक, जिनको कई लोग आइंस्टीन के बराबर बुद्धिमान मानते हैं। ये हैं डॉक्टर स्टीफेन हाकिंग । आज भी दुनिया इनकी बुध्दि का लोहा मानती है, और भले ही एक आम आदमी इनकी बातो को समझे ना लेकिन विज्ञान जगत में इनके योगदान को सराहता है।

अब आती है सबसे मज़ेदार बात। डॉक्टर रायचौधरी, जिनको उनके देशवासी पहचानते तक नहीं, ही वो वैज्ञानिक हैं जिनके कन्धों पर खड़े हो कर बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने शोहरत पायी। उनके दिए सूत्र जिसे ‘रायचौधरी समीकरण’ कहते हैं, आइंस्टीन के समीकरणों से बेहतर हैं। बल्कि सारे आधुनिक खगोलविज्ञानी आइंस्टीन के समीकरण को छोड़ कर रायचौधरी के समीकरणों का इस्तेमाल करते है, क्योंकि उनके समीकरण काफी आसान एवं सहज हैं। यहाँ तक की डॉक्टर स्टीफेन हाकिंग ने भी अपने शोध कार्य को रायचौधरी समीकरणों पर आधारित किया है। लेकिन दुःख की बात ये है कि जिस वैज्ञानिक को भौतिक शास्त्री इतना सम्मान देते हैं उसे उसके खुद के देशवासियों ने भुला दिया।

बल्कि हमने उनके साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया कि बड़े बड़े योगदान देने के बाद भी उन्हें पीएचडी के लिए दर दर भटकना पड़ा। हमने उनके सामने इतनी सारी अड़चनें डाली क्योंकि उस समय के प्रोफेसर इस बात को पचा नहीं पा रहे थे की उनका शिष्य उनसे इतना आगे निकल गया। यह बात सोच कर मुझे शर्म आती है।

हम इतने बड़े ढोंगी हो गए हैं कि जब कभी देश की तरक्की की बात आती है तो एक सुर में सरकार, नेता, अफसर और यहाँ तक की भगवान को दोष देते हैं; लेकिन ख़ुद के बच्चों को सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बनाना चाहते है, वैज्ञानिक नहीं। हम बॉलीवुड सितारों के आतंरिक मामलों में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं लेकिन देश की प्रतिभाओं को बढ़ावा नहीं देते। हम सब एक महान देश की इच्छा रखते हैं लेकिन अपने बच्चों को कॉर्पोरेट जॉब की तरफ़ धकेलते हैं, न की अनुसंधान के लिए प्रेरित करते हैं। यहाँ तक की माँ-बाप और शिक्षक भी बच्चों को लाख लाख रुपये के पैकेजों के पीछे भागने को प्रेरित करते हैं। इस पाखंड को देख कर मुझे और शर्म आती है।

हमें इन विषयों पर बहुत गहराई से सोचना चाहिए वर्ना हमारी जनसँख्या हमारी ताकत बनने के बजाय हमारे लिए एक बोझ बन जाएगी।

जो लोग इस महान वैज्ञानिक को देखना चाहते है उनके लिए ये रही उनकी तस्वीर:

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