बठिंडा बस स्टैंड को शहर से बाहर ले जाने की बात चल रही है। कई लोग, या यूं कहें कि व्यापारी वर्ग, इसके खिलाफ हैं तो कई इसके पक्ष में हैं। इसका सटीक विश्लेषण कर पाना थोड़ा मुश्किल है । दोनों पक्षों के अपने अपने facts है , जो सही भी है
बस स्टैन्ड बाहर जाने से , जहा इक तरफ , city को traffic से निजात मिलेगी, वही दूसरी तरफ , बहुत से लोगों की रोजी पर रिस्क आ जाएगा ।
तो इसका सोल्यूशंस क्या हो सकता है ?
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यह सब बेकार की बातें हैं। ऐसे तो कोई भी सुधार किया जाएगा तो किसी न किसी पर तो उसका असर पड़ेगा ही पड़ेगा।
buses के ट्राफिक से सारा शहर तड़प रहा है। छोटे छोटे स्कूल जाने वाले बच्चों को हाल देखिए। उस सड़क का हाल देखिए गर्मी और धूप में जब ट्राफिक जाम हो जाता है।
ड्राइवरस के द्वारा फुल गति पर भगाई जाने वाली बसों की स्पीड को देखिए।
किसी भी शहर के अंदर बस स्टैन्ड कभी नहीं होना चाहिए।
रही बात कुछ दुकानदारों पर भीड़ (या ग्राहक कम होने की बात) तो फिर उन्होंने बहुत वर्षों में बहुत कमाई कर ली। अब उन ऑटो और रिकक्षा वाले गरीब लोगों को भी कुछ रोजगार मिलने दीजिए।
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पटियाला मे भी , इसी तरह से , बस स्टैन्ड , बाहर गया है
मेरे ख्याल से , अगर पुखराज सिनेमा से , बस स्टैन्ड तक, इक फ्लाइओवर, सिर्फ बसों के लिए बना दिया जाए , तो ये इक सोल्यूशंस हो सकता है , इस तरह से , trafiic से भी निजात मिल सकती है
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Theek hai, its possible, but ऐसे तो शहर अंदर की तरफ ही केंद्रित होता जाएगा? जब भी किसी भीड़ वाले इलाके से कोई भी सरकारी दफ्तर आदि को बाहर ले जाना होगा, उसके आसपास के रेहड़ी, ठेले, या दुकानदार बोलेंगे की हम इसको बाहर नहीं जाने देंगे, शहर के अंदर ही सब कुछ रहेगा, तो फिर शहर का सत्यानाश पक्का है।
किसी भी शहर को फैलाव के लिए बाहर जाना ही होगा।
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Its a very valid point. But I agree more with keeping the city roads free and open and let all the crowd pulling points be shifted towards outskirts. This way only only city will be decongested, but auto and small vehicles will earn more.
JUST LIKE CHANDIGARH. MORE OPEN ROADS AND PARKS, MORE VENTILATION.
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