Encroachment and traffic conditions in Bathinda

बठिंडा में ट्राफिक और एन्क्रोच्मन्ट का बुरा हाल सबको दिख रहा है, लेकिन हल करने वाला कोई नहीं है।
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सब खुद के फ़ायदे के बारे में सोचते हैं। की उनके 1 ग्राम का नुकसान न हो, चाहे शहर का 1 क्विंटल का नुकसान क्यूँ न हो जाए।
न बस स्टैन्ड बाहर जा रहा है, न ही कोई वरांडो को रोकने से रोक रहा है, न कोई दुकानों को बाहर बढ़ाने से, न रहरियों को।
लोग आपस में लड़ते हैं तो लड़ने दो। एक्सीडेंटस में जखमी होते हैं, तो होने दो।

स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की जगह रोक ली, किसी ने क्या कर लिया किसी का? और अंदर एक कॉंग्रेसी कहता की हमने तो अपना फ़ायदा देखना है बस, चाहे पड़ोसी को कुछ भी होता रहे।

शहर में एन्क्रोच्मन्ट हद्द से बढ़ गई है। जिधर जाओ, ट्राफिक का बुरा हाल है। पालिटिशनस अपने फ़ायदे के लिए उल्टा शहर को और रुकवाई जा रहे हैं, जहां भी कोई खाली जगह दिखती है, अपने चहेतों से उसको रुकवा देते हैं। बस स्टैन्ड को बाहर ले जाने का कोई नाम नहीं ले रहा है।
और पब्लिक?? पब्लिक रो रही है। बस!!

बॉबी जोफ़न
बठिंडा हेल्पर और बॉबी साइकिल शॉप से।
साइकिल के लिए हमें याद करना बस।

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मैं इस बिल्डिंग की बात कर रहा था, जिसको रातों रात अपने चाहने वालों को बिना किसी मशूरई टेन्डरस आदि के दे दिया गया:




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