Topical/Famous Persons (Hindi)
Kabir Rahim
- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय। जो मन खोजा आपना, मुझ से बुरा न कोय।
- कबीर दास: निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
- पोथी पढ़.पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय ढाई आखर प्रेम के, पढे तो पंडित होय।
- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पाथीं को छाया नहीं, फल लागे आती दूर।
- रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे तो फिर जुड़े नहीं जुड़े तो गांठ पड़ जाए।
- काल करे से आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करोगे कब।
- कबीरा तेरी झोपड़ी गल कटियन के पास। जो करेगा तस भरेगा तू क्यूँ भए उदास।
- चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोए दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोय।
- चलती है तो चलने दे, चलने दे दिन रात। जिनको प्रभु का आसरा वही बचेंगे साफ (रहन मात के पास)।
- जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप। जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप।।
- छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। कहा विष्णु को घटि गयो, जो भृगु मारी लात॥
- माँगन गया सो मर गया, मर के माँगन जा। उससे पहले वो मरा, जो होते कहदे ना।।
- मांगन मरण समान है, मति मांगो कोई भीख। मांगन ते मरना भला, यही सतगुरु की सीख॥
- रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं। उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं॥
- तुलसी दास: बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब भय बिनु होई न प्रीत॥
अलग अलग शायर:
- सारी उम्र गालिब, मैं यही खता करता रहा, धूल चेहरे पर थी, गर आईना साफ करता रहा।
- सिखा दो सर कुचलने का हुनर अब अपने बच्चों को, बितानी है इन्हें अब ज़िंदगी, सांपों की बस्ती में।
- हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।