भारत में पोर्न महामारी कैसे बन गया?
ऐसा क्या हुआ कि इंटरनेट यूज़ करने वाले लोग पोर्न सर्च करने लगे? गूगल के कुछ उपयोगी टूल्स के ज़रिए हमने इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की और जो नतीजे सामने आए वह हैरतअंगेज हैं!
गूगल साल 2004 से अब तक के उपलब्ध रोचक और ज्ञानवर्धक आंकड़े उपलब्ध करवाता है। 2004 से 2010 तक भारत कभी भी पोर्न सर्च करने वाले शीर्ष दस देशों में नहीं रहा। 2011 में भारत पहली बार इस सूची में 9वें स्थान पर आया। लेकिन 2012 में भारत इस सूची में पाँचवें स्थान पर था और पिछले साल में हम चौथे स्थान पर हैं (ये आंकड़ा भी पुराना है)। त्रिनिदाद एंड टोबैगो, पापुआ न्यू गिनी और पाकिस्तान हमसे आगे हैं।
यही हाल सेक्स शब्द सर्च करने का भी है। भारत गूगल पर सेक्स सर्च करने के मामले में हमेशा से आगे रहा है। लेकिन सितंबर 2011 के बाद इसमें भी अप्रत्याशित तेज़ी आई। अब सवाल यह उठता है कि 2011 में ऐसा क्या हुआ कि पोर्न भारत में महामारी की तरह फैला और लगातार फैलता चला जा रहा है? तो इसका जवाब है कि 2011 में पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय वैश्या मेनस्ट्रीम मीडिया के ज़रिए खबर बनी।
दरअसल #pornstar #sunnyleone ने #bigboss के ज़रिए भारतीय एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा। बिग बॉस का हिस्सा बनते ही सनी लियोनी खबरों में छा गईं। यदि गूगल सर्च कीवर्ड्स के इंट्रेस्ट पर नज़र डालें तो साल 2012 में सनी लियोनी एकमात्र ऐसी शख्सियत थी जो राइसिंग सर्च में टॉप टेन कीवर्ड्स में जगह बना सकी। यानी 2011-2012 में सनी लियोनी को खूब सर्च किया गया और सनी लियोनी को सर्च करते-करते भारतीय पोर्न तक पहुँच गए। हालात यह हुए कि इंटरनेट पर पोर्न से दूर रहने वाले भारतीय दो साल के भीतर ही सबसे ज़्यादा पोर्न सर्च करने के मामले में चौथे नंबर पर आ गए। सनी लियोनी को बिग बॉस में भेजने के बाद एकाएक भारत में पोर्न इंडस्ट्री बूम कर गई थी। जी हाँ, वामपंथ फैलाने के साथ-साथ ये एक बिज़नेस स्ट्रेटजी भी होती है। वामपंथ को समझना हो तो ऐसे समझो कि इस देश में दिल्ली की सड़कों पर #KissOfLove चलाया गया कि संघी साले कौन होते हैं हमें रोकने-टोकने वाले? दक्षिणपंथी सनातनी हिंदुओं को इसका घोर विरोधी बताया गया। असली कारण इसी में छुपा था क्यों कि इसे ऑर्गनाइज़ करने वाले खुद सेक्स रैकेट चलाते पकड़े तक जा चुके थे। इतना ही नहीं इस अभियान के पीछे के #वामपंथी वो थे जो शादी को कहते हैं कि ये एक संस्थागत #वैश्यावृत्ति है जहाँ बाप अपनी बेटी को पराए मर्द को भोगने को सौंप देता है और वो उसका मैरिटल रेप करता है। असली प्यार तो चुनकर करना है और एक से क्यों देश में #freesex होना चाहिए जहाँ लड़की चाहे जितना मर्ज़ी और जितनों से मर्ज़ी सेक्स करे। ऐसा नहीं करोगे तो हम तुम्हें वैश्यावृत्ति से जन्मी सन्तान मानेंगे। इसका बिज़नेस पहलू समझना हो तो ये है कि भले ही सनी लियोनी के आने से पहले भले ही लोग पोर्न देखते रहें हों लेकिन एक तो इस मात्रा में नहीं देखते थे, दूसरा कितने पोर्न स्टारों का नाम लोग जानते थे।
इसके उलट आज की पीढ़ी कम से कम दर्जन भर ऐसे लोगों का नाम जानती है और न सिर्फ़ जानती है बल्कि इतना कॉमन कर चुकी कि ये न्यू नॉर्मल बना दिया गया है। इससे पोर्न इंडस्ट्री ने भारत में जबरदस्त मार्केट खड़ा किया। ऐसा ही मॉडलिंग इंडस्ट्री, फिटनेस इंडस्ट्री, अंडरगारमेंट्स इंडस्ट्री और कितनी ही इंडस्ट्री भारत में फल-फूल गईं। नतीजा, जब पोर्न इंडस्ट्री यहाँ भी खुद को ‘पोर्न स्टार’ कहलवाने लगी तो फ़िल्म तो बड़ी पिछड़ी सोच की हो गई तो हुआ ये कि पहले किसिंग नॉर्मल बनी, फिर क्लीवेज नॉर्मल किया गया और अब पुट्ठे नॉर्मल किए जा रहे हैं। पोर्न, फ़िल्म, फिटनेस, मॉडलिंग, अंडरगारमेंट सभी का संगम ये बन गया है। इसके साथ ही एकाएक ऐसी फ़िल्मों की बाढ़ आ गई है जो बस सेक्स और वो भी विशिष्ट लेवल का सेक्स बना-बना बेच रहा है। आज फैमिली शो, अवार्ड शो आदि में भी किस तरह ये ‘सेलेब्रिटी’ कपड़े पहनकर आती हैं? आप TV लगाकर खुद परिवार के साथ लज्जित होते हैं। TikTok के ठुमको से शुरू हुई कहानी ‘Only Fans’ जैसे ऐप तक जा चुकी हैं जहाँ कुछ रुपयों में आप भरपूर वर्चुअल सेक्स और अंग प्रदर्शन का आनंद ले सकते हैं।
कहते थे कि लज्जा स्त्री का गहना होती है लेकिन लज्जा तो इस इंडस्ट्री के सामने गिरवी रखे जाने लगी है। जिसका नुकसान ये है कि जब आप शरीर को सिर्फ़ भोग और प्रदर्शन का माध्यम समझने लगते हैं तो फिर आप उस तरह नहीं रुक पाते जैसे एक नशे का व्यसनी नहीं रुक पाता है। फिर बड़ा आसान हो जाता है हालातों से समझौता करना भी। उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन में 50 प्रतिशत कुंवारी लड़कियाँ अपने मकान-मालिक से हर महीने किराए के बदले सेक्स करती हैं। इसका कारण भी उनका उन्मुक्त समाज ही है जहाँ परिवार सिस्टम तरीके से तोड़ा गया कि 18 की होते ही वहाँ घर छोड़ स्वतंत्र होना ही होना है वरना समाज ही तुम्हें कच्चा चबा जाएगा कि तुम्हें बालिग होकर भी माँ-बाप के साथ कैसे रह सकती हो? अब ये लड़कियाँ बच्ची तो होती हैं और ज़रूरतें बड़ी-बड़ी। इन्हें जॉब ऐसी मिल नहीं पाती कि शौक भी पूरे हों। ले देकर ऐसा घर ढूँढती हैं जहाँ समझौते करने पड़ते हैं। बॉयफ्रेंड बनाती हैं जो कुछ शौक पूरे कर सकें। इधर-उधर हाथ-पैर मारती हैं ताकि बेहतर जॉब हाथ लग सके लेकिन वहाँ भी उसे समझौते करने पड़ते हैं।
अब चूँकि समाज पहले से ही फ़्री सेक्स समर्थक होता है तो ये आसानी से तैयार हो जाती हैं और फिर सामने वाले के आगे खुद को सशरीर समर्पित कर देती हैं, बस काम निकलना चाहिए। फिर यही बच्चियाँ जब औरत बन जाती हैं तो इनके लिए वन मैन वुमेन रहना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि जैसे ही मन भरा या शौक पूरे होने में कमी आई तो तुरंत रिलेशन खत्म करने से भी ये पीछे नहीं हटतीं जो आपको हमको इनके एक पति से दूसरे, दूसरे से तीसरे, तीसरे से चौथे में जाते दिखता है। स्कारलेट जॉन्सन (अवेंजर की नताशा रोमनोफ) का तो आर्टिकल भी है जहाँ वो कहती है कि कोई औरत एक मर्द के साथ पूरी ज़िंदगी कैसे रह सकती है? इसी का एडिशन वन नाइट स्टैंड इनके गानों, फ़िल्मों यहाँ तक कि असल ज़िंदगी में हम देखते हैं कि तुरंत कोई मर्द पकड़ा, रात बिताई और टाटा बाय-बाय। इसी के अन्य दुष्परिणाम हमें सिंगल मदर, एकाकी जीवन, डिप्रेशन, ड्रग एडिक्शन, पागलपन, सुसाइड आदि में दिखते हैं। इसी का दुष्परिणाम परिवार सिस्टम ध्वस्त होना होता है। इसी का दुष्परिणाम पेरेंटिंग का खात्मा होता है जो वैल्यू सिखाता है, जो ट्रेडिशन सिखाता है, जो कल्चर सिखाता है। बिना इसके एक पढ़ा-लिखा लेकिन जानवर माफ़िक समाज बनने लगता है जिसे अपनी ज़िम्मेदारी का कोई एहसास नहीं, कम से कम पारिवारिक ज़िम्मेदारी का। बच्चा और कुत्ता ऐसे समाज में एक समान होता है कि बेबी कर लो या पप्पी ले आओ, जब तक बड़ा हो खूब दुलार करो और फिर एक दिन कुत्ता 18 साल में मर जाएगा और बच्चा 18 होते ही घर छोड़ देगा। पोर्न इंडस्ट्री के आने से सिर्फ़ इतना ही नहीं हुआ।
पोर्न ने नंगई के साथ-साथ बौद्धिक नंगई भी बढ़ाई है। स्टेप सिस्टर सेक्स, स्टेप डॉटर सेक्स, स्टेप ब्रदर सेक्स, स्टेप फ़ादर सेक्स, स्टेप मदर सेक्स जैसी चीज़ें दिमाग में घुसेड़ दीं जिस वजह से ईसाई और मुस्लिम एक जैसे हो गए हैं कि सिर्फ़ अभी अपनी सगी बहन, माँ, बाप, भाई ही छूट रखे हैं बाकी के कज़िन अब उस नज़र से देखे जाने लगे हैं। और ये भी कब नॉर्मल हो जाए बस दिमाग में भरने की बात भर जितना दूर है। आज ट्विंकल खन्ना कहती है कि मेरा बेटा मुझे माँ की नज़र से नहीं देखता। ये वो बॉलीवुड सोसायटी है जो सबसे ज़्यादा पश्चिम से कनेक्टेड है। पश्चिम में हॉट मॉम, हॉट सिस्टर इस तरह कॉमन हो गया कि लड़के का दोस्त इसे मुँह पर बोल देता है अपने दोस्त को और इसे हामी भर स्वीकार लिया जाता है। भारत में है किसी की इतनी हिम्मत कि किसी की माँ बहन के लिए उसका दोस्त ऐसे शब्द कह दे? भारत की तो लड़कियाँ भी बेचारी कन्फ़्यूज़्ड हैं। वो ज़बरदस्ती इंडियन-वेस्टर्न का घालमेल कर गलतफ़हमी में जी रही हैं। उन्हें ट्विंकल खन्ना की उस बात को ध्यान से समझना चाहिए क्योंकि तुम्हारे ही बच्चे फिर इसके प्रभाव में आने वाले हैं। तुम जो अभी उछल रही हो, कल को तुम्हारे कारनामे जब बच्चे बड़े होकर देखेंगे तो तुम्हारा भी ट्विंकल बनना तय है। तुम खुद ऐसी हो तो तुम्हारी बेटी को उससे ज़्यादा गन्दा होने से कैसे रोक पाओगी? क्योंकि ये बीमारी रिवर्स में तो चलेगी नहीं कि मम्मा हॉट थी मैं सिंपल बनूँगी, बल्कि होगा ये कि मम्मा हॉट थी मैं सुपरहॉट बनूँगी। रोक पाओगी उसे? किस मुँह से रोक पाओगी? एक और चीज़ जहाँ इंडियन लड़कियाँ कन्फ़्यूज़ हैं या मजबूरी का शिकार हैं कि किसी को खुद पर बहनजी का ठप्पा नहीं चाहिए। यहाँ लड़कियाँ तीन वजह से सेक्सी एंड हॉट बनने को उतारू हैं। पहला कि उन्हें किसी से कमतर नहीं दिखना है, दूसरा उन्हें अटेंशन पाना है और तीसरा उन्हें मॉर्डन लगना है।
कमतर का अर्थ है कि तुम्हें कर सकती है तो मैं भी कर सकती हूँ। अटेंशन का अर्थ है कि सेक्सी दिखूँगी तो फ़ॉलोवर बढ़ेंगे, लोग नोटिस करेंगे और क्या पता मैं भी सेलेब्रिटी बन जाऊँ। और मॉर्डन का मतलब है कि ऐसी नहीं बनूँगी तो पिछड़ी कहलाऊँगी और लोग मज़ाक बनाएँगे कि आ गई संस्कारी बहनजी। और इस वजह से दिल भले ही भारतीय हो शरीर पश्चिम हो गया है। ये लड़कियाँ पूजा-पाठ भी कर लेती हैं, मंदिर भी चली जाती हैं, परिवार वाली बनना चाहती हैं, बस कपड़ों और हरकतों से भारतीय नहीं बनना चाहतीं। और जैसा बताया कि कपड़े पश्चिमी करने तो शुरुआत भर है, आगे सब कुछ पश्चिमी होता जाएगा जब नालीवाद आपको जकड़ना शुरू करेगा जो अभी इसके पहले गियर में है। जहाँ शर्म गई वहाँ सब कुछ यूँ फिसलता जाएगा जैसे मुट्ठी से रेत फिसलती है और इसे कोई कितनी भी कोशिश कर ले ये रुकने वाली नहीं हैं। 100 में से 10 शायद वापसी कर भी लें लेकिन 90 पश्चिम वाले मकड़जाल में फँसती ही चली जायेंगी जिसका अंत परिवार सिस्टम का अंत है और इसकी शुरुआत ही साज़िशन इसलिए हुई थी कि #NewWorldOrder वाले चाहते थे कि ऐसा कोई परिवार न रहे जिससे फिर कोई समाज हमें चुनौती देने के लिए टिक भी पाए! और फिर ये एक नया जॉम्बी समाज बनाएँ जो इनके इशारे पर काम करे, जहाँ कोई अपना कल्चर न मानता हो, जहाँ कोई अपना ट्रेडिशन न मानता हो, जहाँ कोई अपना बिलीफ़ न मानता हो और जहाँ कोई अपनी सोच समझने की शक्ति न रखता हो। आजकल भारतीयों को बिगबॉस में लड़की-लड़कों को साथ सुलाने का दर्द हो रहा है। दिक्कत यह है कि जब इन्हें वामपंथी विचारधारा समझाई जाती है तो इन्हें उस समय घण्टा फ़र्क नहीं पड़ता और जब उसके नतीजे सामने दिखने लगते हैं तो फिर पीड़ा होने लगती है। बिगबॉस जो बिग ब्रदर का भारतीय वर्जन है यदि वह उसका विदेशी वर्जन देख लेते तो समझ जाते कि यह किस लेवल का घटिया वामपंथी शो है? विदेशों में तो लड़की को नंगी होकर टास्क से लेकर खुलेआम ऑन कैमरा कपड़े बदलना, नहाना और सेक्स करना तक दिखाते हैं और वो वामपंथ में जकड़े लोग बड़ी बेशर्मी और से खुलेआम यह ‘टास्क’ करते भी हैं। यह शो ही संस्कृति के पतन करने का ज़रिया बन रहा है, फिर वो विदेश हो या देश। इसी शो ने इस देश को अंतरराष्ट्रीय वैश्या सनी लियोनी पेश की थी जो आज यदि सड़क पर खड़ी हो जाए तो हज़ारों यही संस्कृति की दुहाई देने वाले उसे देखने को खड़े हो जाएँगे। इसी शो के स्क्रिप्टेड कहानी से आपको यह दिखाया जाता है कि तथाकथित ‘बड़े’ लोग किस तरह जीते हैं, सोचते हैं। ताकि आप भी उनकी सोच की कॉपी कर सको और उनकी सोच हमेशा इसी तरह होगी कि जब सनी लियोनी बताएगी कि ‘I AM A PORN STAR’ तो ‘बड़े’ लोग तालियों से उसका स्वागत करें और फिर जब कोई आम भारतीय उसे वैश्या कहे तो ‘बड़े’ लोगों जैसा बनने वाले उस आम भारतीय को छोटी सोच और दकियानूसी ख्यालात वाला कहने लगें। नतीजा- आज हर दूसरी भारतीय लड़की फ़िल्मों (मुख्यत: वेब सीरीज़) में नंगी हो रही हैं। क्योंकि एक तो उसे इससे पैसे मिल रहे हैं, दूसरा जब समाज इस चीज़ को स्वीकार करके शोहरत भी दे रहा है तो फिर ये संस्कृति-संस्कार का चूतियापा लेकर काहे अपना नुकसान करवाना? वैसे भी इस देश में भड़वे-भांड हीरो-हीरोइन ही होते हैं।
अब फिर बिग बॉस के चर्चें हैं। गाली दी जा रही है कि ऐसे लोग कैसे जीत रहे हैं लेकिन लोग ये नहीं समझ रहे कि दुनिया का कोई भी रियलिटी शो में सिर्फ़ उसका नाम रियल होता है बाकी सब स्क्रिप्टेड होता है। ये ऐसा है जैसे ‘The Hindu’ नामक अखबार सिर्फ़ नाम का हिन्दू है बाकी सब एंटी हिन्दू ही है। ये जो छपरी जीत रहे हैं ये जिताए जा रहे हैं ताकि इस तरह ही छपरी पीढ़ी जिसे GenZ कहते हैं वो तैयार कराई जाए। इनका बौद्धिक विकास नगण्य रहता है इसलिए इनको शिकार बनाना भी आसान है और इनके देखादेखी बाकी के युवा भी इसके लपेटे में आ जाते हैं। जब वो इस तरह के शो की चर्चा करते-करते इसका शिकार हो जाते हैं वरना ये ‘ZenG’ उन्हें अपने बगल में बिठाने से बहिष्कृत कर देंगे। इन्हें जिताकर लाइम लाइट में लाने का उद्देश्य है कि आप इन्हें फ़ॉलो करें। न सिर्फ़ सोशल मीडिया पर बल्कि असली जीवन में भी वरना आप कूल नहीं हैं। बल्कि आप तो धरती पर बोझ बनकर जी रहे हैं। फिर जो-जो इनसे करवाया जाएगा वो आपको करना ही पड़ेगा। कूल दिखने को और ये किस तरह के निम्न बुद्धि के होते हैं ये कोई भी समझ सकता है। बिग बॉस बना ही इसलिए है ताकि आप उस घर की तुलना अपने घर से करें और मायूस होकर सोचें कि आपके घरवाले, रिश्तेदारी, मोहल्ले तो साले बकवास जीवन जीते हैं। असली जीवन तो बिग बॉस वालों का है। फिर जब आप इन्हें निजी जीवन में जीते हैं तो आप घर से बागी बनते हैं कि मुझे ऐसी बेकार ज़िंदगी नहीं चाहिए मुझे तो मेरे आदर्श की तरह जीना है। आपको हैरानी नहीं होती कि 3 महीने चलने वाला ये शो क्यों साल में दो बार कर दिया गया है? अर्थात आपके जीवन के प्रत्येक वर्ष आप आधे वर्ष इन्हें ही देख रहे हैं। समाज इसी तरह बागी बनता है। एक 3 घंटे की फ़िल्म से ज़्यादा प्रभाव इस तरह के शो बनते हैं जो घर में आसानी से उपलब्ध भी हैं और हर दिन इनकी चर्चा आप स्कूल कॉलेज में भी कर रहे हैं कि आज तो ये हुआ और आज तो वो हुआ। यही काम तो डेली सोप ने घर की महिलाओं के साथ किया कि सास कैसे बनना है, बहू कैसे बनना है, क्लेश कैसे सीखने हैं आदि इत्यादि। एकता कपूर तो इन नाटकों के ज़रिए परिवारों में आग लगवाने को माहिर है। इसके ऊपर कितने लोग पहले कितनी बातें कर भी चुके हैं। यही बिग बॉस का भी काम है।
ऊपर की पोस्ट दो-चार पुरानी पोस्टों की मिक्स है तो आप बार-बार सनी लियोनी शब्द देख रहे होंगे और सोचते होंगे कि अब सनी लियोनी को कौन ध्यान देता है? लेकिन सनी लियोनी ही वो पहली सीढ़ी थी जहाँ से शुरुआत हुई थी जो अब किस स्तर पर है आपको भी पता है? ऐसे ही बिग बॉस का भविष्य देखना हो तो बिग ब्रदर के इंटरनेशनल शोज़ देखिए और आप समझ जाएँगे कि ये आपके घर-परिवार, समाज को कहाँ ले जाएगा? अभी तो इसका उससे रिलेशन, उसका उसकी बाहों में पड़े रहना, स्विमिंग पूल में नहाना, होंठ चूमना, क्लेश करना, एक-दूसरे को एक्सपोज़ करना जैसा शुरुआती पड़ाव है जैसा सनी लियोनी करती थी और जब आप इसमें ढल जाएँगे तो आप वैसे ही कहेंगे कि ये भी कोई बात करने की चीज़ है जो अब पुरानी बात हो चुकी जैसा आप सनी लियोनी को कहेंगे कि वो भी अब चर्चा की बात है क्योंकि अब तो सनी लियोनियाँ भर चुकी हैं समाज में। आप में से बहुत से लोग इसके लोगो, इल्युमिनाटी आदि से परिचित होंगे तो जानते होंगे कि ये डीप स्टेट का हिस्सा ही है। वही डीप स्टेट जो दुनिया में #woke कल्चर का क्रुसेड छेड़े है। कोई भी जेनरेशन ऐसे ही किसी बीमारी से ग्रस्त नहीं होती। उसके लिए हर जगह अपना सिस्टम इंस्टॉल किया जाता है। बिग बॉस भी उन्हीं का एक प्लेटफ़ॉर्म है।