“तू कर्म कर, फल की चिंता मेरे पर छोड़ दे”
यदि बठिंडा या आसपास किसी को भी ‘काम’ की तलाश है तो हम उसको काम दिला सकते हैं। बस उसको मेहनत करनी होगी। चाहे उसके पास लगाने के लिए एक भी रूपी न हो।
और यदि उसको काम तुरुन्त चाहिए तो पहले 10-15 दिन फ्री में काम करके दिखाना होगा। बस उसको आने जाने का खर्च मिलेगा।
अब यदि कोई सचमुच बिल्कुल बेहला है, और काम की तलाश में है। तो वो कुछ दिन फ्री में भी कर लेगा। क्यूंकी यूं भी वो घर पर फ्री/बेकार/बेहला ही है। और मेहनती आदमी बेहला नहीं बैठ सकता। बुजुर्गों की कहावत उस पर फिट बैठती है बिल्कुल, की ‘बेहले से बगार भली’।
अब दूसरी साइड या जाईए की यदि कोई ‘जॉब’ चाहता है तो वो मिलनी मुश्किल क्यूँ है?
दोस्तों जॉब का मतलब है की चाहे आपके पास महिना भर में थोड़ा काम हो, या ज्यादा, आपको सैलरी मिलनी ही है अंत में। यह जॉब है। यह वो लोग ढूँढते हैं, जो खुद को ‘सैलरी’ की सिक्युरिटी चाहते हैं, की वो तनखा उनकी सिक्युर हो। लेकिन काम की सिक्युरिटी वो मालिक को बिल्कुल नहीं दे सकते। कोई टारगेट पूरा नहीं कर सकते। उनको हरेक काम में उसका रिवार्ड मिलने की पहले से गारंटी होनी चाहिए, तभी वो उस काम को कर सकते हैं। भगवान कृष्ण की यह बात की, ‘तू कर्म कर, फल की चिंता मेरे पर छोड़ दे’ उनको बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती।
ऐसे लोगों की हम कोई खास मदद नहीं कर सकते। उनकी मदद दुनिया खुद करेगी। वक़्त उनकी मदद करेगा, यह बातें सीखा कर।
बॉबी जोफ़न 94 7878 4000