चाहे हम खलिस्ताँ के सख्त खिलाफ हैं। लेकिन ऐसे सख्त धराएं लगा कर इतनी दूर आसाम जाकर उनको बंद कर देना, जहां उनके अपने उनको मिल भी न पाएं, कोई कानूनी मदद तो दूर की बात है, कहाँ का न्याय है? उनमें से कईयों के तो अपराध तो केवल फेस्बूक पर ही हैं। इससे कहीं अधिक अपराध तो आज पंजाब में असल में हो रहे हैं। सरकार खुद पता नहीं क्या कुछ कर रही है।
यदि फेस्बूक पर की गई पोस्ट को आधार बना कर ही सरकार ऐसे सजायें देगी, तो फिर इसका मतलब क्या समझा जाए? भारतीय कानून व्यवस्था तो फैल ही हो गई इसका मतलब गरीब व्यक्ति के लिए?