बठिंडा में शाम ढाबे से लोगों की नफरत का कारण

Right sir…

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सर बिल्कुल सही कहा काफी Hadd तक आपने लेकिन आप सोचे उस बोर्ड के कारण चलो ड्राइवर उस ढाबे का बॉयकॉट कर सकते है लेकिन कल को किसी ड्राइवर का बच्चा अपने दोस्तों के साथ वहा जाता है तो क्या उसे अपने father के प्रफेशन को ले कर embrace feel नहीं होगा… Its not a business call sir. Might be there target is differ than wording.

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मोहित जी, अब आपने पॉइंट चेंज कर दिया। अब आप बोर्ड पर बात कर रहे हैं।
लेकिन मैं आपकी इस बात का भी जबाब देता हूँ।

ड्राइवर वो जो किसी फॅमिली को ड्राइव करके लेकर आया हो (पेमेंट बैसिस पर)।
जो अपनी फॅमिली को खाना खिलाने गया है, वो ड्राइवर के base पर नहीं गया। न ही वो उसको अंदर जाने के लिए रोकें।
लेकिन ड्राइवर खुद की कितनी इज्जत समझत है, या समाज उसको कितनी इज्जत देते है एक ड्राइवर होने के नाते, यह उनकी या समाज की मजबूरी/गलती है। किसी एक शॉप कीपर की नहीं।

उस शॉप कीपर ने वो बोर्ड वहाँ क्यूँ लगाया है, इसकी वजह पूछना एक अलग बात है और उसकी बजह जाने बिना उसको गलत ठेरा देना, यह मशहूर करना सोशल मीडिया पर की मैं जबरदस्ती उस बोर्ड की फलाने टाइम पर हटाने जा रहा हूँ, एक बिल्कुल अलग बात है।

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और अब कुछ लोग कह रहे हैं की यह पोस्ट gurwinder के उलट है।
उल्ट कैसे हो गई?

मैं किसी भी बंदे या संस्था के उल्ट या हक में नहीं हूँ।
जैसे अन्य सभी लोग करते हैं, मैं भी बस अपनी राय रख रहा हूँ।

मैं gurwinder के कई काम सभी भी मानता हूँ।
2 बार तो मैंने उसको स्पेशल फोन करके उसको उसके किए कामों की प्रशंसा की है। किसने किया होगा ऐसा?
और उसके किए कामों की सोशल मीडिया पर तो कई बार तारीफ की है। तो क्या इसका मतलब यह हो गया की मैं उसकी सही बात को सही तो कहता जाऊँ, पर जो गलत लगे, उसको गलत न कहूँ?

यह कहाँ का इंसाफ है? फिर तो मैं चापलूस हो गया।

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जमाना बजे मुझे वाह बॉबी भाई साहब बहुत बढ़िया आपके विचार हैं सुनकर मन को खुशी हुई
एक बात जरूर बता देना कि एक बंदे को 20 बंदे मिलकर मारने के लिए टारगेट करते हैं तो क्या जानलेवा हमला नही होता, क्या जानलेवा हमला किसी और तरीके से होता है बम फेंक कर या गोली मार कर। 20 बंदे जिनके हाथ में कुछ भी छोटे-मोटे हथियार हो वह हमला करें तो क्या वह जानलेवा हमला नहीं माना जाएगा

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अगर 20 बंदों ने अपने हाथों में कुछ लेकर आप पर अटैक किया है तो फिर तो माना जा सकता है।

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मुझे जैसे उनके किसी बंदे ने बात बताई है। जो की उनके कहने के ढंग से मुझे सच लागि। और उसने यह भी बोला था की एक भी झूठ निकले तो सारी बात ही झूठ मान लेना।

उसकी सारी बात की समरी यह निकल रही थी की दो दिन पहले, आपसे उनकी पुलिस स्टेशन में यह अग्रीमन्ट हुआ था की वो किसी अन्य समाज सेवी से अगर झगड़ें या न झगड़ें तो आप बीच में नहीं आएंगे। और यह भी की वो ड्राइवर वाला बोर्ड, उसकी लाइंस वो समझोटे के मुताबिक चेंज करवा देंगे। और आप (सोशल मीडिया आदि पर से) उनका विरोध बंद कर देंगे।

पानधि से उनकी बनती नहीं थी। और लेकिन पानधि जबरदस्ती वहाँ अंदर जाना चाहता था। और उसने जान भूजह कर आपका नाम लेकर उनको भड़काना शुरू कर दिया (की क्यूँ पुलिस स्टेशन में gurwinder से माफी मांगते हो और यहाँ मुझे अंदर नहीं जाने देते) और बात बढ़ा ली। फिर उसने आपको फोन करके बुला लिया (यह कह कर की वो आपको गालियां निकाल रहे हैं)।

आप अपनी बात से मुकरते हुए उसकी सपोर्ट में वहाँ पहुँच गए। और फिर सारे आपस में भिड़ गए। चाहे उनके पास man पावर ज्यादा होने की बजाह से उनका पलड़ा भारी रहा हो।

अब यह आपको पता होगा की इसमें बताने वाले ने कितना क झूठ बोला है।

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Sir, Mujhe ye to nahi pata ki kaun sahi hai ya kaun galat, but aapka comment dekh kar mujhe laga ki mai bhi apna opinion doon.Agar zindagi me har insaan iss tarah robot command pe chale( Its a simple process, I go, order food, have it, bill is produced, I pay and exit, so where their rudeness is encountered and why?) to shayad duniya me ladayi jhagde ki gunjaaish hi na bache.lekin practically har mudda itna asaan nahi hota.jahan jahan aapne comma lagaya hai, jhagde ki wajah wahi pe hoti hai.

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