कल रात को शाम ढाबे पर Gurwinder Sharma, जो की मेरे दोस्तों में से एक हैं, बठिंडा के एक समाज सेवक, और शाम ढाबे पर फिर से लड़ाई हो गई।
हालांकि मुझे लड़ाई होने के कारण अभी मालूम नहीं, लेकिन gurwinder ने यह रिपोर्ट लिखवानी चाही है की उस पर ढाबे वालों ने जान लेवा हमला कीया है। और इस बात से मैं कतई सहमत नहीं।
कोई भी शॉप कीपर अपने खुद के अड्डे पर किसी पर जान लेव हमला नहीं कर सकता। शाम ढाबे वाले एक बनिया बंदे हैं, जो अपने बिजनस को पहल देते हैं। हालांकि वो किसी ग्राहक को जान से मारने की चेष्टा बिल्कुल नहीं करेंगे, वो भी तब, जब सारी दुनिया वहाँ देख रही है। और जिसको वो जान से मारना चाहते हैं, उनको वो जानते नहीं। क्यूँ मारेंगे वो जान से? अगर वो यूं gurwinder को जान से मारने की चेष्टा कर सकते हैं, तो फिर वो अपने दुश्मनों का तो पता नहीं क्या हाल करते होंगे। लेकिन आज तक ऐसा एक भी केस नहीं सुन, जिसमें उन्होंने अपने दुश्मनों का बुरा हाल किया हो।
हाँ ऐसे बहुत केस हो चुके हैं जिनमें लोगों ने उन पर यह कह कर अटैक किए हैं की वो बहुत ही रूखे हैं और उनका व्यवहार बहुत ही कड़वा है। ऐसी बहुत सी पोस्ट सोशल मीडिया पर घूमती रहती हैं। और निश्चित ही सभी पोस्ट्स को हम नफरत से प्रेरित कह कर इग्नोर नहीं कर सकते। बल्कि मैं तो कहूँगा की शुरू शुरू में मैं खुद भी उनकी रुखाई का शिकार हो चुका हूँ।
लेकिन इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा की कुछ बिजनस ऐसे हैं, जैसे की ढाबा, रेस्टोरेंट, होटल, बस ड्राइवर, या कहीं भी और जहाँ रोज रोज ढेरों नए लोग आते हों, वहाँ पर 2 ही हालात बनते हैं, या तो ढील देकर वहाँ असत व्यस्त जैसे अपना बिजनस चलाओ। या फिर सख्ती दिखा कर किसी को कुसकने न दो।
और मैं दूसरे तरीके का पक्षधर हूँ। मैंने भी होटल चलाया है। मुझे भी लोग बहुत रूखा समझते और कहते थे। लेकिन मैं जानता था की जिसके साथ भी मैं हंस कर प्यार से पेश आता था, वो कोई न कोई नियम तोड़ने के लिए तयार हो जाता था।
जैसे की सिर्फ एक बार, सिर्फ एक ऐसे कस्टमर के साथ मैंने एक ह्विस्की का पेग शेयर किया था, जो की वहाँ बहुत देर रहा था। लेकिन उसी पेग के कारण उस रात उसने होटल में खूब शोर मचाया और गेस्ट्स को परेशान किया। लेकिन मैं क्यूंकी उसके साथ बैठ कर ड्रिंक किया था, उसको कुछ कह नहीं पाया।
कहने का मतलब यह है की आपने अपना बिजनस कैसे चलाना है, रूखा लेकिन अनुशासहित या फिर ढीला, प्यार से लेकिन बिना किसी नियम कानून के। यह आपकी मर्जी है और कोई दूसरा यह फैसला आप पर थोप नहीं सकता (जब तक की आप कोई कानून न तोड़ते हों)।
और बहुत सी चीजें, दूर से देखने से तो और लगती हैं, लेकिन जिनके साथ प्रैक्टिकल होता है, उनको बेहतर मालूम होता है। जो उन्होंने ड्राइवर के साथ न बैठने वाला रूल बनाया है, वो रूल शुरू में नहीं था। उस रूल की जरूरत क्यूँ हुई होगी, इसके अंदाजे जीतने मर्जी लगाते रहिए, लेकिन सच सिर्फ उनको ही मालूम है। और उनको इसके नुकसान भी मालूम होंगे, लेकिन निश्चित ही फायदे अधिक होंगे, वरना वो रूल कब का वहाँ से हट गया होगा।
और अंत में, मार्केट फोर्सेस कुदरत की एक ऐसी चीज है, जिसको कोई चैलेंज नहीं कर सकता।
अगर वो बुरे अधिक हैं, तो वो फैल होकर रहेंगे।
और अगर उनका खाना उनके व्यवहार से ज्यादा अच्छा है, तो उनको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता, लोग सोशल मीडिया पर कितना ही शोर क्यूँ न मचाएं।
बॉबी जोफ़न
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