ज़्यादा मेम्बर्स जुडने चाहियें, या कम?

10 वर्ष पहले हम तीन दोस्तों ने मिल कर बठिंडा हेल्पर ग्रुप्स की शुरुआत की थी।

हिस्ट्री और प्रॉब्लेम:

डीटेल में न जाते हुए, धीरे धीरे वो ग्रुप बढ़ने लग गए (फेस्बूक पर टोटल 4300, जिसमें से 3500 ऐक्टिव यूजर हैं) और व्हाट्सप्प ग्रुप सदा फुल रहने लग गया। फुल कपैसिटी। यदि एक नया मेम्बर जोड़ना है तो एक पुराना सबसे कम ऐक्टिव मेम्बर देख कर एक्सईट करो। यह सिलसिला 1-2 वर्षों के लिए चलता रहा।

फिर 1-2 वर्ष पहले Bathinda Helper की वेबसाईट भी आ गई। लेकिन उस पर व्यू ज़्यादा हैं, बजाय की न्यू पोस्टस की गिनती के।

फिर महिना पहले हमने टेलग्रैम पर शिफ्ट होने का फ़ैसला ले लिया।

उसमें अब यह प्रॉब्लेम आ रही है:

अब उसमें यह प्रॉब्लेम आ रही है की यदि तो हम मेम्बर लिमिटेड रखते हैं तो फिर ग्रुप बढ़ेगा कैसे? तरक्की कैसे करेगा?
और यदि इसी दर से बढ़ाते चले जाते हैं, तो msgs का ढेर लग जाता है। और कई मेम्बर्स को डिस्टर्बन्स लगती है।

हालाँकि मैंने उनको एक छोटा सा सोल्यूशंस दिया है की ग्रुप को म्यूट करके रखिए। जब चाहा देख लिया, जब चाहा इग्नोर कर दिया। लेकिन फिर उनको यह शिकायत हो जाती है की जब हमने कुछ काम की बात के लिए ग्रुप ओपन करना होगा तो उसमें सेकड़ों/हजारों msgs में से अपने काम की बात ढूँढेंगे कैसे?

"थोड़ा सा हल

इसका एक सोल्यूशन है, लेकिन उसके लिए लोगों को एक स्टेप एक्स्ट्रा करना पड़ता है, जो वो करते नहीं हैं।

यदि मेम्बर्स बठिंडा हेल्पर की वेब एप इंस्टॉल करके उसमें अपनी बात रखनी शुरू करें, तो यह दोनों समस्याएं हल हो सकतीं हैं।
यानी हम जितने मर्जी मेम्बर बढ़ते जाएँ, कन्फ़्युशन पैदा नहीं होगा। क्यूंकी हरएक टॉपिक के नीचे उससे संभनधित पोस्ट ही होती हैं। एक टॉपिक, मतलब एक मुद्दा।
और न ही इस पर फेस्बूक की तरह बीच में फ़ालतू msgs/एड्वार्टाइस्मेंट्स की भरमार मिलती है।
और आप अपने msgs को जब मर्जी एडिट कर सकते हैं, डिलीट कर सकते हैं, सर्च कर सकते हैं, अच्छे msgs को लाइक कर सकते हैं, आदि आदि।

यदि किसी के पास, इस बात का इससे बढ़िया कोई हल हो तो प्लीज हमें जरूर बताएं।

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आपकी बाते सही हैं. बहुत से मेम्बर (मेरे जैसे), बिजी होने के कारन सभी मेसेज read नहीं कर पाते . ग्रुप जब भी खोले ,100-150 मेसेज देख कर, read नहीं कर पाते . मेरे ख्याल से ग्रुप को बेहतर करने के कुछ यह तरीके हो सकते हैं :-

  1. एक मेम्बर ने कुछ पूछा , दुसरे ने जवाब दिया, फिर पहले ने क्रॉस question, किया और cross रिप्लाई , हम सभी को यह समझना चाहिए जैसे ही 3-4 , मेसेज हो जाये या कन्वर्सेशन लम्बी होती दिखे , तो हमे (बात कर् रहे ग्रुप मेम्बर को ) , पर्सनल इनबॉक्स में बात स्टार्ट करनी चाहिए , ताकि बाकि मेंबर disturb न हो

  2. हलाकि whatsapp या telegram में अपनी लैंग्वेज में किसी को भी कोई भी मुद्दा लिखने या discuss करने की अप्रूवल हैं, फिर भी इससे बात लम्बी खिंच जाती हैं , यह ग्रुप हमे दुसरे की help के लिए रखना चाहिए , डिबेट करनी हैं तो दूसरा ग्रुप हैं या वेबसाइट पर …कहने का मतलब लम्बी बाते अवॉयड करनी चाहिए …बात लम्बी कब और कैसे खिंच रही हैं, इस बात का कोई hard and fast रूल तो नहीं , लेकिन हम सबको अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए , ग्रुप की इस मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए

  3. सवाल का जवाब जितने कम शब्दों में दे सके , और बात को ख़त्म कर सके, उतना हमारे लिए बेहतर

येह मेरे अपने विचार हैं ग्रुप की बेहतरी के लिए …

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लास्ट वाला पार्ट “थोडा सा हल”, मैंने miss कर दिया था …बिलकुल सही हल हैं

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बस यही पर गड़बड़ है। जो चीज भी मेम्बर्स के विवेक पर छोड़ दी जाए, वो सफल नहीं होती।
और जब एक मेम्बर सही नहीं करता, तो दूसरे मेम्बर भी सही करना छोड़ देते हैं।

यदि यह चीजें मेम्बर करने लग जाएँ , समझ जाएं तो फिर तो दिक्कत ही कोई नहीं।
परन्तु यह चीज लोगों से इक्स्पेक्ट करनी ही मुश्किल है।

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