मेरे साथ बठिंडा जूडिशल कॉम्प्लेक्सट में, उस बिल्डिंग में कल हुआ हादसा जहां लोग न्याय की तलाश में जाते हैं। लेकिन न्याय मिलना तो बहुत ही दूर की बात है!
पंजाब पुलिस की हालत पहले ही किसी से छिपी नहीं है। लेकिन अब कोविड के चलते इनकी बदमाशी और धमकी हरेक शहरी के लिए नई समस्या बन गई हैं। क्यूंकी अब आप किसी भी पुलिस वाले से किसी भी बात पर कोई लॉजिक नहीं दे सकते हैं। पहले तो उसको कोई और हथियार अपनाना पड़ता। अब उनके लिए बिल्कुल आसान हथियार है की आपको मास्क का चलान काट कर हाथ में दे देंगे (चाहे आपके मास्क लगा ही क्यूँ न हो!! कोई सुनवाई नहीं)।
इसकी एक इग्ज़ैम्पल कल मेरे साथ घटी।
कल सुबह, यानि 23 मार्च, 2021 को 11 बजे मेरी बठिंडा कोर्ट में किसी केस के सिलसिले में पेशी थी। वहाँ वो पेशी किसी नई कोर्ट में कमिट हुई थी, जो की वहाँ अलग अलग कोर्ट के बाहर लगी लिस्ट्स को पढ़ कर ही पता चलना था की किस कोर्ट में है। (नेट/एप पर कई बार ये लोग लास्ट मोमेंट तक अपडेट नहीं करते, मेरा भी केस अपडेट नहीं था। इसलिए वो जाकर ही पता चलना था)
तो मैं अलग अलग कोर्ट में जा जा कर देखने की बजाय, वहाँ ग्राउन्ड फ्लोर पर नोटिस बोर्ड पर सभी कोर्ट की सूची देखने लगा की सेशन कोर्ट कौन कौन सी हैं, और कौन कौन से फ्लोर पर हैं। मुझे वहाँ खड़े अभी 2 मिनट ही हुए होंगे की वहाँ जो गेट पर 2-3 पुलिस वाले होते हैं, उनमें से 1 सीनियर, एएसआई, मेरे पीछे आया और मेरी बाजू पकड़ कर धकलेने लगा की मैं वहाँ क्यूँ खड़ा हूँ।
मैंने कहा की मैं नोटिस बोर्ड पढ़ रहा हूँ। आप यकीन नहीं मानेंगे की उसका जबाब था की मैं नोटिस बोर्ड नहीं पढ़ सकता। मैंने हैरान हो गया और पूछा की नोटिस बोर्ड तो पढ़ने के लिए ही होता है। उसको मैं क्यूँ नहीं पढ़ सकता? वो कहता की मैं वहाँ खड़े ही नहीं हो सकता। मैंने वापिस पूछा की क्यूँ नहीं? और लोग भी तो आ जा रहे हैं। तो वो मेरे पर अधिक हावी होने लगा, और कहता की 1000 रूपी का चलान अदा करूँ!! मैंने कहा की किस लिए? मास्क तो मैंने पहना हुआ है। केवल उसके साथ बात ठीक ढंग से करने के लिए नीचे किया है, वो भी उसके सामने!! लेकिन वो मानने को तयार ही नहीं हुआ। और कहता की या मैं बिल्डिंग से बाहर हो जाऊँ। मैंने कहा की मुझे जज ने बुलाया है, अपने सामने हाजिर होने को!! लेकिन वो मुझे गलत भाषा में बोलता गया की मैं उसके साथ न अड़ूँ!!
मैंने कई बार पूछा की हुआ क्या है? लेकिन वो हरेक बात का उलट ही जबाब दे रहा था!! मैंने उसका नाम जानना चाहा तो वो भी उसने नहीं बताया (उसकी यूनिफॉर्म पर शायद उसकी नेम प्लेट नहीं लगी थी/नहीं दिखी)। मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था। लेकिन मैं साथ में यह भी सोच रहा था की पहले वाला केस भी ऐसे ही गुस्से का नतीजा था। इस सिस्टम से कहाँ कहाँ लड़ेंगे। इतने में मेरे वकील आ गए। वो समझ तो गए की कुछ इनकी बात हुई है, लेकिन वो भी इससे उलझना नहीं चाहते थे। मुझे पकड़ कर वो अपने साथ ले गए। पीछे से वो पुलिस वाला कहता की मैं फ्री होकर उससे मिलूँ, फिर वो मुझे देखेगा। और मेरे वकील कह रहे थे की यह *** हैं, इनके साथ उलझने का कोई फायदा नहीं!!!
क्या हाल हो गया है पंजाब का और इसकी व्यवस्था का!!!
गुंडे न कहें तो और क्या कहें!!!
बॉबी जोफ़न