भारत मे आम आदमी और नेताओं के लिये न्याय व्यवस्था अलग अलग है

आखिर केजरीवाल ED के सम्मन पर जा क्यों नहीं रहे हैं ?

सरल शब्दों में यदि इस प्रश्न का उत्तर हम समझें तो ऐसा लगता है कि शायद हमारे संविधान में ही इतनी कमियां/खामियां हैं कि नेताओं के लिए अलग कानून और जनता के लिए अलग कानून के प्रावधान हैं ? प्रतीत तो ऐसा ही हो रहा है इस दिल्ली शराब घोटाले की जांच को लेकर।

एक आतंकवादी के केस की सुनवाई करने के लिए तो देश की न्यायपालिका रात को 12 बजे भी खुल जाती हैं लेकिन एक मुख्यमंत्री जिसके ऊपर जनता के टैक्स पेयर्स के पैसों में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा है उस मुख्यमंत्री को 5 सम्मन भेजने के बाद भी अगर वो निर्लज्ज मुख्यमंत्री दिल्ली शराब घोटाले की जांच में ED को सहयोग नहीं कर रहा तो ऐसा लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को बचाने के लिए देश की न्यायपालिका दरवाजा अंदर से बंद करके बैठ गई है

देश की न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में चल क्या रहा है:question::question:
तारीख पे तारीख और सम्मन पे सम्मन
“भ्रष्टाचार के घोटालों के फैसले कब आयेंगे” ?
जज साहब
दिल्ली शराब घोटाले में जज साहब आपने कहा कि 6 महीनों में जांच पूरी करो ताकि न्यायालय दिल्ली की जनता को इस भ्रष्टाचार में फैसला दे सके लेकिन दिल्ली का मुख्यमंत्री तो 5 सम्मन के बाद भी ED के समक्ष जांच में सहयोग करने के लिए उपस्थित ही नहीं हो रहे :grinning::grinning::exclamation:
फैसला किस बात का दोगे जज साहब
“देश की जनता आज बहुत ही निराश है, हताश है, उदास है देश की न्याय प्रक्रिया से”
उदासीनता से काम नहीं चलेगा
“कर्मठता से फैसले देने होंगे”
ज ज …सा ह ब