दिल्ली का शराब घोटाला
पुरानी शराब नीति:
750ML थोक कीमत ₹166.73
एक्साइज ड्यूटी ₹223.88
VAT ₹106.00
रिटेलर कमीशन ₹ 33.39
एमआरपी ₹530.00
नई शराब नीति लागू मार्च 2022:
750ML थोक कीमत ₹188.41
एक्साइज ड्यूटी ₹ 1.88
VAT 1% ₹ 1.90
रिटेलर मार्जिन ₹ 363.27
अतिरिक्त एक्साइज ₹ 4.54
एमआरपी ₹560.00
इस प्रकार पुरानी शराब नीति में एक बोतल पर सरकार की कमाई ₹329.89 और नई शराब नीति में मात्र ₹8.32 होती है। यानी नई नीति से प्रति बोतल ₹321.57 का सरकार को घाटा। पुरानी नीति में रिटेलर का कमीशन ₹33.39 जबकि नई नीति में रिटेलर का कमीशन ₹363.27 होता अर्थात प्रति बोतल ₹330.12 का रिटेलर को फायदा।
यहां पर देखने से यह स्पष्ट होता है कि प्रति बोतल सरकार को जितना नुकसान होता है लगभग उतना ही बल्कि उससे भी थोड़ा ज्यादा रिटेलर को फायदा पंहुचा है। अब कोई भी समझ सकता है कि चतुराई से नई नीति बनाकर मैन्युफेक्टरर्स/ रिटेलर्स को फायदा पंहुचाया गया।
अब ये फायदा मनुफेक्टरर्स को कैसे पंहुचे तो नई नीति में मैन्युफैक्चरर्स को रिटेल में भी शॉप खोलने की अनुमति दे दी।
अब बिक्री के आंकड़े भी देख लीजिए।
पुरानी नीति में जहां शराब की बिक्री प्रतिमाह 132 लाख लीटर थी तो नई शराब नीति में प्रतिमाह शराब की बिक्री 245 लाख लीटर हो गई। इस बिक्री को बढ़ाने के लिए बाकायदा पीने बाले की उम्र घटाकर 18 साल और समय बढाकर रात्रि 3 बजे तक कर दिया।
अब आप समझ गए होंगे कि ये कितना बड़ा और कट्टर घोटाला है और कितनी बड़ी कमाई केज़रीवाल एन्ड कम्पनी ने की है जिसकी वजह से चीफ सेक्रेटरी को एलजी से सीबीआई जांच के लिए कहना पड़ा।
ये हाल उस पार्टी का है जो राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने का दावा करके प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी। परन्तु उसकी दाड़ी तो तिनकों से भरी निकल रही है।
भ्रष्टाचारी कोई भी हो, बचना नहीं चाहिए।