बस यूँ ही …
कल्पना कीजिये कि आप एक जंगल से होकर जा रहे है , अचानक बीच जंगल मे एक भयावह किंग कोबरा आपको काट लेता है , आप लगभग मरणासन्न होते है कि कुछ औषधीय बूंदे आपके मुख में गिरती है और आप कुछ समय तक मूर्छित रहकर फिर जागृत हो जाते है , आप देखते है कि आप एक कुटिया में है और अधेड़ से अधिक वय का एक वैद्य लगातार आपको कुछ औषधियां दे रहा है , आप कुछ क्षणों के लिए प्रसन्न है कि आप बच तो गए है लेकिन तत्काल ही आप अनुभव करते है कि पूरा शरीर विष के प्रभाव से जल रहा है ,आपकी देह तीव्र ज्वर से तप रही है और काटे गए स्थान पर बहुत तेज पीड़ा भी हो रही है ।
वैद्य दिन में 18 घंटे आपके उपचार में रत है किंतु आप की पीड़ा ,जलन और ज्वर है कि पूर्ण रूप से ठीक नही हो पा रहा , वैद्य आपको धैर्य रखने के लिए कह रहा है ,उसे अपनी चिकित्सा,अनुभव एवं औषधियों पर पूर्ण विश्वास है किंतु एक दिन जब वैद्य कुछ औषधियां लेने गया है तब वही कालसर्प आपकी कुटिया के बाहर आकर आपसे कहता है कि,
" देखो मेरा काटा कभी बच नही सकता ,अतः तुम ये पीड़ा ,जलन ,ज्वर मत भोगों , मुझे एक बार और काट लेने का अवसर दो मैं तुम्हे इस पीड़ा से सदैव के लिए "मुक्त "कर दूंगा । तुम केवल इस कुटिया से बाहर आने का निर्णय करो क्योंकि यहाँ उस वैद्य ने मरवे के पौधे लगा रखे है जिन्हें मैं लांघ नही सकता ।
अब “चुनाव” तुम्हारा है चाहो तो इस वैद्य के कड़वे काढ़े पीकर तपते ,पीड़ाते और तड़फते रहो या चाहो तो मेरे पास आकर एक बार और कटवा के पीड़ा से मुक्ति पाओ और फिर सीधे स्वर्ग में ऐश करो।
हे भारत ! अब आप निर्णय करो , समय लेने वाले वैद्य को चुनना है कि स्वयं साक्षात कालसर्प किंग कोबरा को ??
सांपो को तो आप पहचानते ही हैं।लेकिन उस वैद्य का नाम मैं बता देता हूं।वैद्य का नाम है नरेंद्र दामोदरदास मोदी।इस वैद्य ने हजार साल के सर्पदंश से सुसुप्तावस्था में पड़े हिंदुओं को झकझोर कर जगाया है।अभी उठकर बैठना और फिर साहस के साथ स्वाभिमान के साथ चलने का काम शेष है।
“अगर स्वस्थ्य होकर जीना है कुछ दिन तपकर तो वैद्य को चुनिए, बाकी…आपकी इच्छा !”