क्या केजरीवाल को सच मे जमानत पर ही छोड़ा गया है या

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श्रीमान केजरीवाल :disguised_face: बेल मिलने पर आप ज्यादा खुश मत होना, ये सब एक राजनीति चाल है,आपको राजनीति में आये केवल दस साल हुआ है और वो भी आप एक शहर के मेयर से ज्यादा औकात भी नही रखते हो, आपके सामने जो है वो आरएसएस जैसे संगठन और भाजपा जैसी राष्ट्र्वादी पार्टी से शिक्षित होकर आये है, ये पार्टी के लोग आपकी तरह सड़कछाप किसी एनजीओ से शिक्षित नही हुए है,आप सो जन्म और ले लोगे तब भी आप समज नही पाओगे

अब आप पहली वजह सुनो,शादी में सारे बरती (चुनाव प्रचार )आये थे आप नही थे आपकी शिकायत भी थी सब बिरादरी के लोग आ गये आपकी बिरादरी यानी ट्रांस जेंडर के मुख्या को नही बुलाया ,इसलिये आपको जेल से बाहर निकाला गया है,वैसी भी बारात में सबसे आखिर में आपकी बिरादरी के लोग ही होते है,इसलिए आपको आखरी में ही बुलाया है

दूसरी और अहम वजह आप चुनाव तक जेल में ही रहते और 4 जून को परिणाम आता (सब जानते है क्या आने वाला है भाजपा 370 और nda 400 पार) और आपका ठगबंधन हारता तो आप भोंकना शरू कर देते में जेल में था इसलिए भाजपा जीत गई,वैसे आप केवल 22 सीट पर ही चुनाव लड़ रहे है ओर बात भाजपा को हराने की बात करते हो,आपकी सारी मनोकामना पूर्ण मोदीजि कर ही रहे है, 4 जून को हारने के बाद आपको किसी भी बात का मलाल ना रह जाय, बस आप 2 जून को वापस जैल जाने की तैयारी करो ,और 4 जून को अपने मित्र सिसोदिया और सतेन्द्र जैन के साथ विधवा विलाप करने तैयार रहना, हा एक अच्छी खबर है आपके लिए आपको केवल पंजाब में ही कुछ सीट मिल सकती है , दिल्ही में आप हारने की हैट्रिक करने जा रहे हो,और कही भी आपको एक सीट भी नही मिलने वाली है

वैसे तो आप जानते हो आपको क्यो छोड़ा गया है,पर बंदर की आदत है शेर इनको थोड़ी देर के लिये छोड़ देता है तो वो समजता है शेर मेरे से डर गया,आपके कार्यकर्ता और समर्थकको इसी तरह बेवकूफ बनाया करो

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नहीं रोहिणी जी, यह बिलकुल गलत बात है।

केजरीवाल को जमानत और पेरोल के बीच की चीज मिली है, जो आज तक किसी भी व्यक्ति को किसी कोर्ट ने नहीं दी। इसलिए कोर्ट को तो हम कोस सकते हैं, की किसी व्यापरी को अपने व्यापार में जरूरी काम के लिए छुट्टी/पेरोल नहीं दी जा सकती?

लेकिन जैसे आप कह रही हैं, की यह सब बीजेपी के इशारे पर हुआ है, दिन को रात और सहे की तीन टाँगे कहने वाली बात है।

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@RohiniAcharya
I disagree with these conspiracy theories.

If we don’t like #Arvind-Kejriwal it doesn’t mean that we refuse to accept what is visible. Courts are not running according to Bjp (or RSS)'s whims.

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