परिवार को पुरष का योगदान है उसका पुरषआर्थ (अधिक परिश्रम)। औरत का, अधिक प्यार
मैं, बॉबी साइकिल और बठिंडा हेल्पर का एडमिन, यह कहना चाहता हूँ, खास तौर पर आज करवा चौथ 20 अक्टूबर, 2024 को।
जहां घर की भौतिक वस्तुएं और सुरक्षा घर के पुरुष सदस्यों द्वारा सुनिश्चित की जाती हैं, वहीं शुद्ध प्रेम घर की महिलाओं द्वारा प्रदान किया जाता है। पुरुषों के पास सभी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा कुछ नहीं है, जबकि महिलाओं के पास परिवार को देने के लिए प्यार के अलावा कुछ नहीं है। महिलाएं हमारे वंश वृक्ष की जड़ हैं, जबकि पुरुष उसी वंश वृक्ष की वृद्धि और सुरक्षा करते हैं।
लेकिन आज, सोशल मीडिया और हमारी सरकारें, महिलाओं को सशक्त बनाने के नाम पर, हमारे परिवारों की जड़ों को खराब कर रही हैं। वे एक तरह से महिलाओं से अपने परिवार के पुरुष सदस्यों को चुनौती देने के लिए कह रही हैं। आज, हमारी संस्कृति पश्चिमी मूल्यों, नई दुनिया के कारण खराब हो रही है। यह संस्कृति हजारों सालों के संयम, पीड़ा, मृत्यु, बलिदान का परिणाम है जो पुरुष और महिलाओं दोनों ने झेला है।
मैं आपको सैकड़ों तर्क दे सकता हूँ, लेकिन मैं नहीं दूँगा।
मुझे लगता है कि इतना कहना ही काफी है कि कृपया अपनी लड़कियों को यह शिक्षा दें कि शादी के बाद उसका एकमात्र उद्देश्य अपने घर के सभी सदस्यों को खुश रखना होना चाहिए। और उसके पति का एकमात्र उद्देश्य उस घर की ज़रूरतों को पूरा करना होना चाहिए।
खाना बनाना सिर्फ़ एक काम नहीं है। यह महिला की अपने परिवार को खुश रखने की इच्छा की अभिव्यक्ति है, उसको उसकी शक्ति दिखाने का एक मोका है। अगर कपड़े धोना और खाना बनाना ही एकमात्र काम होता, तो यह काम मशीनों और सहायकों से भी करवाया जा सकता था। लेकिन नहीं, यह ‘कार्य’ का विकल्प तो हो सकता है, लेकिन प्यार का कोई विकल्प नहीं हो सकता। और इसी तरह, पुरुष के लिए भी कोई ऐसी मशीन नहीं हो सकती, जो पुरुष के प्रयास/अथक मेहनत के बिना परिवार को सारी ज़रूरतें पूरी कर सके।
जब घरेलू महिला अपने पति से प्रतिस्पर्धा करने लगे, या छोटी-छोटी बातों पर उसे पुलिस थानों और कोर्ट में चुनौती देने लगे, तो यह स्पष्ट है कि महिला का अहंकार उस परिवार को नष्ट कर रहा है।
मैं किसी भी पुरुष की एक ही संभावित गलती मानता हूँ, और कोई दूसरी नहीं, वह है अपनी पत्नी से ज़्यादा मेहनत न कर पाना। हर पुरुष को अपनी पत्नी से ज़्यादा मेहनत करनी चाहिए। और जहाँ तक हो सके, जैसे जैसे उसके बच्चे बड़े होते जाएँ, तो उसे अपने सुखों में कम से कम लिप्त होना चाहिए। और यही एकमात्र बात है, जिसके लिए पुरुष को दोषी ठहराया जा सकता है। तथा औरत की एक ही संभावित गलती है, की परिवार के मेम्बर्स में प्यार बाँटने की बजाय, खुद की चाहतों को खड़ा करके परिवार के मुखी पुरष/पूरषओ को चुनोती देने लग गई।
और अंत में मैं सभी महिलाओं से, इस करवा चौथ पर अनुरोध करता हूँ, वे ऐसे रीति-रिवाज़ न करें जहाँ आप दिखाती हैं कि आप अपने पति की पूजा करती हैं और वह आपके स्वामी और घर के नेता हैं, या आपके लिए पूजनीय हैं। क्योंकि, अगर आप अपने पति को इसके योग्य नहीं समझती हैं, तो उनकी पूजा करने, उनकी आरती उतारने और उनके पैर छूने का कोई उद्देश्य या लाभ नहीं है। बस दिखावे के लिए इस प्रथा से दूर रहें।
जीवन में किसी भी चीज़ का दिखावा न करें। सच्चाई को सभी को दिखाएँ!!! अगर आप अपने आदमियों की बात नहीं मानती, आपके दिल में उनके लिए कोई खास इज्जत नहीं है, तो घर आने वालों के सामने ऐसा दिखावा न करें की आप उनकी इज्जत करती हैं। समाज को अपना असली चेहरा देखने दें। उसको छिपाईए मत।
बॉबी
आपका भाई, या अपनी सभ्यता और संस्कृति का शुभ चिंतक।
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