मेनका गाँधी को ,गाँधी परिवार क्यों छोड़ना पड़ा ?

मेनका गांधी जो की एक कर्नल की बेटी थी, जब 18 वर्ष की थी, ने संजय गांधी से सन् 1974 में विवाह किया था। संजय गांधी की शह पर वो पालिटिक्स में ज्यादा रूचि लेनै लगी थी जो इंदिरा गांधी को बहुत नागवार गुजरता था। मेनका को घर के काम काजों में न तो कोई इंटरेस्ट था और न ही कुकिंग में। संजय की वजह से इंदिरा जी को न चाहते हुए भी चुप रहना पडता था। पर इंदिरा जी और मेनका में आपस में काफी नोंक झोंक होती रहती थी।

इंदिरा जी राजीव की पत्नी सोनिया से बहुत खुश थी क्योंकि वह इंदिरा जी जो भी चाहती थी या कहती थी वही करती थी। सो इंदिराजी उसी को चाहती थी। मेनका आधुनिक स्वतंत्र विचारों वाली लडकी थी। उसे घर में हाउस वाइफ़ बनकर रहना अच्छा नहीं लगता था।

इमर्जेंसी के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पडा पर संजय और मेनका के प्रयासों से कांग्रेस को फिर जीत मिली। इसी बीच संजय की प्लेन दुर्घटना में सन् 1980 में मृत्यु हो गई थी। उसके बाद इंदिरा जी और मेनका के मध्य मन मुटाव तीव्र हो गया। मेनका संजय का स्थान पॉलिटिक्स मेः लेना चाहती थी जो इंदिराजी को न तो मान्य था और न ही उचित लगा।

अंततः दोनों के मध्य तक़रार इतनी बढ गयी कि इंदिरा ने उसे 26 वर्ष की उसके तीन वर्षीय बेटे वरूण के साथ सन् 1982 में बाहर निकाल दिया। तो मेनका अपने पिता माता के पास जाने की अपेक्षा होटल में जा कर रहने लगी।

सन् 84 में इंदिरा जी की हत्या उन्ही के सिक्यूरिटीज गार्ड द्वारा की गयी थी। उस समय मेनका ने संजय के गढ अमेठी से नामांकन भरा था और राजीव गांधी ने भी। पर इंदिरा की मृत्यु के कारण राजीव को जो इंटेरिम प्राइम मिनिस्टर बनाया गया था उन्हीं की जीत हुई ।

बाद में मेनका ने सन् 2004 में बीजेपी ज्वाइन की। और वरुण ने भी।

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