किसी दूसरे से दान मांगने का सबसे बढ़िया तरीका

अगर हम चाहते हैं की जो लोग, हमारी नज़र में, सक्षम हैं, और हमारे कहने पर किसी गरीब की मदद नहीं कर रहे, या उतनी मात्रा में नहीं कर रहे, जितनी मात्रा में हम चाहते हैं। तो उनके सामने और ज्यादा, या बार बार इज्झार करने की बजाय, अनजाने में उनको नीचा शो करने की बजाय, चुप करके खुद जितनी हो सके, उतनी मदद करना कहीं ज्यादा बेहतर है।

क्यूंकी जब हम दूसरों के ज़मीरों को जगाने के लिए कुछ शब्द बोलते हैं, तो हम अंजाने में खुद को उनके मुक़ाबले ज्यादा जमीर वाला साबित कर रहे होते हैं। जो की हो सकता है सही न हो। और अगर सही हो भी तो, हो सकता है की सामने वाले को वो सही न लग रहा हो (सही और गलत का फैसला कौन करेगा? कोई भी नहीं कर सकता है)।

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और ये सब बातें आज के टाइम में 2 कारणों से ज्यादा महत्वपूरन हो चुकी हैं।

  1. यह कल युग है। यानी आप भी और मैं भी और सब मानते हैं की आज के टाइम में लोग झूठी टूटी हुई टाँग दिखा कर भी भीख माँग सकते हैं। कोई अपनी बेटी की शादी तक कहकर लोगों से पैसे एंठ सकता है। लोग करते हैं ऐसा। तो किसी का विश्वास करना बहुत ही मुश्क़ुइल है। इसमें किसी एक शक्स का कोई दोष नहीं।

  2. सामने वाला सोचता है की अगर मैंने दान देना हुआ तो किसी दूसरे के कहने से या उतेजीत करने से नहीं दूंगा। क्यूंकी इस तरीके से दान लेने वाले mediators की संख्या सच में बहुत हो चुकी है, थैंक्स टू फ़ेसबुक ।

बॉबी ज़ोफन