दो पक्ष: कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष
तीन ऋण: देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण
चार युग: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, एकल-युग
चार धाम: द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम धाम !
चारपीठ: शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ),
शृंगेरीपीठ !
चार वेद: ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद, सामवेद
चार आश्रम: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास
चार अंतःकरण: मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार
पञ्च गव्य: गाय का घी, दूध, दही, गोमूत्र, गो