रहरी एक टाँग से यूँ धकेल रहा है जैसे की दूसरे को पता ही नहीं चलता।
और इसकी यह रहरी भी उस टाइम की है, जब इसके दोनों टाँगें थीं, और मुझे मालूम है की इसने रहरी की ऊंचाई नीचाई भी अडजस्ट नहीं करवाई, बस खुद को तकलीफ देकर उसी से काम चलाई जा रहा है और बर्फ के गोले बेची जा रहा है।
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