शाम ढाबा, बठिंडा का यह विडिओ हरेक जगह पर घूम रहा है।
शाम ढाबे वाले मेरे जान पहचान के हैं। वो कह रहे हैं की
"उन्होंने 500 रूपीस नहीं देने को बोला था।
50 रूपीस कहे थे, वो भी रीक्वेस्ट के तोर पर की वेटर की होनसला अफजाही के लिए।
इससे वेटर किसी की चीज उठाया कर मुकरते नहीं, अगर उनको लगे की कुछ 50-100 रूपीस उनको टिप मिल जाएगी।
इसमें हमारा कोई फ़ायदा नहीं। फ़ायदा भविष्य में उन कस्टमरस का ही होना है, जो अपनी चीजें (कई बार लाख लाख रूपीस के आईफोन) भूल जा सकते हैं, हमारे होटल में (या अन्य कहीं भी)। "
बाकी मेरा व्यू यह है की अगर तो वो रीक्वेस्ट के तोर पर कहते हैं, तो तो ठीक है।
लेकिन अगर वो कहते हैं की आपका मोबाईल/चीज वापिस तभी मिलेगी, यदि आप पहले वेटर को टिप दो, तो आप अपनी इज्जत खत्म कर लेंगे।
Hello dosto, har ek bande bussiness ka khud ka experience hota hai. In starting i visited there too much rush. Unke jrur itne rush ko handle krne mai dikkat aati hogi.problem aati, log bhut phone apni cheeje bhul jaate. To vo strict ho gye honge. Bussiness man kbhi khud ka loss ni krta( jaan bhuj kr) . To mere hisaab se hum bina ground reality jaane unko bura nahi keh sakte. Baki sabka khud ka experience hai.
Sir jruri ni ke hmesha jis bande da rola hove usi da koe kasoor hove. Meri sham dhabe wale na koe dosti ristedaari ni. Par 90 % to jyada costumer mere accord uthe janda. Fr problem vi jyada angiya. Baki sabh di avdi sanaj soch. Bura bhala na samjiyo yaaro
मैं कहता हूँ की वो सच में रूखे होंगे।
बहुत लोग कहते हैं की वो रूखे हैं।
मुझे भी लगता है।
लेकिन रूखे तो आपको बाजार में बहुत शॉप कीपर मिल जाएंगे। बस यह है की आपका उनके साथ वास्ता नहीं पड़ा। अगर पड़ भी जाएगा तो आप उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। बस उनके यहाँ जाना बंद कर सकते हैं।
और यही हक शाम ढाबे को भी मिलन चाहिए। अगर वो रूखे हैं, तो आप उनके यहाँ मत जाईए। बस। इतनी सी बात है। अगर आप कहें की आप उनके यहाँ जाएंगे भी (क्यूंकी उनके रेट और उनकी क्वालिटी की रैशीओ आपको पसंद है), लेकिन आप उनको उनके व्यवहार पर कोसेंगे भी, तो फिर आप भी कोई ज्यादा बढ़िया नहीं हुए। और कोसना भी बहाना बना कर है। अगर उन्होंने 50 काही तो आप 500 बताएंगे। बस यहीं पर गड़बड़ है।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि रतन सिंगला ग्राहक से मोबाइल वापस करने के ₹500 मांग रहा है फिर जब ग्राहक उनसे बहस करता है तो ₹50 मानते हैं और मोबाइल काउंटर में रख लेता है ।यह सरासर धक्के शाही, लालचीपन है, ग्राहक की मर्जी है कि वह इनाम के तौर पर किसी को टिप दे या ना दे। यह नहीं होना चाहिए कि किसी का अगर समान दुकान पर रह गया तो उसको वापस करने के बदले में जबरदस्ती पैसे मांगे जाएं।
यह बहुत ही नीच , घटियापन है इस श्याम ढाबे वालों का
इससे पहले भी तो यह मनीष पांधी तथा मेरे से इसी तरह झगड़ा कर चुके हैं और उसके बदले में इन पर हमारी ओर से पर्चा भी दर्ज किया हुआ है अभी अदालत से जमानत पर चल रहे हैं
इनकी आदत है यह ग्राहकों से ऐसे ही पेश आते हैं घटियापन की तो हद हो चुकी है मगर फिर भी लोग पता नहीं क्यों बेजती करवाने वहां जाते हैं