नारद जी ने जब अपने कामदेव विजय की कथा श्रीहरि को सुनाई तो श्रीहरि को यह लगा कि यह महान देवर्षि अहंकार के वशीभूत हो गया है ।
फिर विश्वमोहिनी अस्तित्व में आती है । नारद जी का सारा कामदेव विजय चकनाचूर हो जाता है और वे उस पर रीझ जाते हैं ! और भगवान श्रीहरि से उनका रूप मांगते हैं ताकि वे स्वयंवर में विश्वमोहिनी को आकर्षित कर सकें और उससे उनका विवाह हो जाये ।
रामचरितमानस में इस घटना के वर्णन में नारद जी भगवान से उनका रूप मांगते समय कहते हैं :
जेहि विधि होहि नाथ हित मोरा ।
करहुँ सो वेगि दास मैं तोरा ।
और श्रीहरि ने उनका हित करते हुए उन्हें कुरूप बना दिया । अर्थात बहुत बार हमारा अभीष्ट कुछ और होता है और ईश्वर कुछ और ही देकर कल्याण करता है ।
नारद जी के पुण्य, उनके ब्रह्मतत्व, उनके ऋषित्व की रक्षणा के लिए प्रभु ने अपने अनुसार व्यवस्था तो की ही साथ ही नारद जी के अहंकार का विनाश भी कर दिया ।
तात्कालिक तौर पर नारद जी इतने कुपित हुए कि उन्होंने श्रीहरि को शाप भी दे दिया लेकिन अपने अपराध की अनुभूति होने पर उन्होंने भगवान से क्षमा भी माँगी ।
सो, ईश्वर का काम हमारी कामनाओं के अतिरेक की प्रतिपूर्ति नहीं है, अपितु कल्याण करना है ।
हम सब भी 400 पार की विश्वमोहिनी को ब्याहने चले थे लेकिन ईश्वर ने हमें वहाँ लाकर खड़ा कर दिया जहाँ से हम हवा में उड़ने के स्थान पर यथार्थ को पुनः देखेंगे । हमारा अहंकार नष्ट हुआ है और यह काम सबसे पहले अयोध्या जी और काशी ने ही किया है ।
हमें इन ईश्वरीय भूमियों का धन्यवाद करना चाहिए, जिसने हमारे समाज को गलत मार्ग पर जाने के पहले ही चेता दिया ।
कल्पना कीजिये कि कोई सांसद 2014 में जीता और उसने कोई काम नहीं किया फिर भी मोदी के नाम पर 2019 में उसकी जीत का मार्जिन बढ़ गया, उसने फिर उसके बाद भी कोई काम नहीं किया । यदि इस बार फिर वह बड़े मार्जिन से जीतता तो वह काम क्या करता, उल्टे और अधिक अराजक हो उठता । अकर्मण्य व्यक्ति बिना स्वप्रयास के मिली शक्ति का दुरूपयोग ही करता है ।
विश्वास कीजिये कि यह चुनाव एक फ़िल्टर की तरह है जिसने इन मक्कारों को पूरी तरह छान दिया है । हो सकता है कि छानते समय अपवादस्वरूप एकाध कर्मिष्ठ भी छन गये हों ।
इस बार सत्ता भी मिली और सबक भी । दोनों का मिलना आवश्यक भी था ।
इस चुनाव परिणाम में हम सबका भला छुपा हुआ है । अब शासक वर्ग आराम से कुर्सी नहीं तोड़ेगा, इतना तय है कि यह सरकार पूर्ववर्ती NDA सरकारों से भी अधिक कल्याणकारी सिद्ध होगी।